नई दिल्ली। खुले आरोप-प्रत्यारोप के हफ्तों चले सिलसिले के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के दोनों धड़े एक बार फिर एकजुटता की राह पर हैं। एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने के बाद अब पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल समर्थक नेताओं ने विद्रोही तेवर वाले योगेंद्र यादव से उनके घर जाकर मुलाकात की है। दोनों पक्षों ने इस बातचीत को सकारात्मक बताया है।
हालांकि प्रशांत भूषण ने सिर्फ केजरीवाल से ही मिलने की बात कहकर इन नेताओं से मिलने से मना कर दिया है। मंगलवार देर रात पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) की बैठक भी हो रही है। पार्टी के संस्थापक सदस्यों प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को इससे निकाले जाने के बाद पार्टी की शीर्ष इकाई की यह पहली बैठक होगी। पार्टी प्रमुख केजरीवाल के लौटने के बाद हो रही इस बैठक में पूरी स्थिति पर चर्चा होने की उम्मीद है।
इससे पहले सोमवार की देर रात पार्टी में केजरीवाल समर्थक नेताओं संजय सिंह, आशुतोष, आशीष खेतान और कुमार विश्वास ने योगेंद्र यादव से उनके घर जाकर मुलाकात की। मंगलवार की सुबह लगभग तीन बजे तक चली इस बैठक के बाद दोनों ही खेमों ने बातचीत को सकारात्मक बताया। संजय सिंह ने कहा, 'पिछले दिनों से जो कुछ चल रहा था, उससे हम लोग चिंतित थे। आज योगेंद्र भाई से बातचीत की अच्छी शुरुआत हुई है। बात आगे भी जारी रहेगी।'
इसी तरह यादव ने उम्मीद जताई कि जैसे ही केजरीवाल को समय मिलेगा, वे भी मुलाकात के लिए उपलब्ध होंगे। साथ ही उन्होंने कहा, 'मैंने पहले दिन से ही कहा है कि पार्टी के साथ बहुत सारी उम्मीदें जुड़ी हुई हैं' हालांकि प्रशांत भूषण बातचीत की इस प्रक्रिया में सीधे शामिल नहीं हुए हैं। इस बारे में उन्होंने कहा 'आशीष खेतान ने सुबह मुलाकात के लिए समय मांगा था। लेकिन मैंने जवाब दिया कि आपसे मिलने से कोई लाभ नहीं होगा और मैं अरविंद से ही मिलना चाहूंगा।'
खुद केजरीवाल की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'मैंने समय मांगा है। उन्होंने कहा है कि हम जल्द ही मिलेंगे। लेकिन वे विधानसभा में बजट सत्र और लेखानुदान आदि में व्यस्त रहेंगे। मैंने उनसे कहा है कि यह बहुत महत्वपूर्ण मामला है। लेकिन..।'
केजरीवाल को भेजा था संदेश
इससे पहले सोमवार को भूषण और यादव ने मोबाइल संदेश भेजकर केजरीवाल से मिलने की इच्छा जताई थी। सोमवार देर रात को ही दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल बेंगलुरु से प्राकृतिक चिकित्सा करवा कर लौटे हैं। इससे पहले दोनों खेमे एक-दूसरे पर कई आरोप लगा चुके हैं।
चार मार्च को हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भूषण और यादव को केजरीवाल खेमे की जिद पर पीएसी से बाहर कर दिया गया था। इसके बाद पीएसी के चार सदस्यों ने सार्वजनिक तौर पर बयान जारी कर आरोप लगाया था कि भूषण और यादव ने दिल्ली चुनाव में पार्टी को हराने का प्रयास किया था।
वहीं, भूषण और यादव ने केजरीवाल पर पार्टी के सिद्धांतों को भुलाकर मनमाने तरीके से पार्टी को चलाने और चुनाव के टिकट बांटने का आरोप लगाया था।
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