Thursday, March 12, 2015

बीमा में एफडीआइ बढ़ाने का रास्ता साफ

नई दिल्ली। बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने संबंधी विधेयक को राज्य सभा से भी मंजूरी मिल गई। सरकार की आर्थिक सुधार नीतियों के लिए यह एक जबरदस्त कामयाबी है। लोक सभा से बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, 2015 पहले ही पारित हो चुका है। गुरुवार को राज्य सभा की मंजूरी के बाद इसकी अंतिम बाधा भी खत्म हो गई है।
अब घरेलू बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा मौजूदा 26 फीसद से बढ़ा कर 49 फीसद करने का रास्ता साफ हो गया है। अब कई विदेशी बीमा कंपनियां भारत में अपना निवेश बढ़ाने का एलान कर सकती हैं।राज्य सभा में लगभग छह घंटे तक चली चर्चा का जबाव देते हुए वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने एफडीआइ बढ़ाने को लेकर उपजे हर संशय को दूर करने की कोशिश की।
उन्होंने कहा कि यह डर बिल्कुल गलत है कि विदेशी कंपनियां प्रीमियम ले कर भाग जाएंगी। नए कानून में यह व्यवस्था की जा रही है कि कंपनियां ऐसा नहीं कर पाएंगी। सरकारी क्षेत्र की बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम को भी सरकार मजबूत करने का भरोसा सिन्हा ने दिया।
बीमा कानून (संशोधन) विधेयक के पारित होने के साथ ही बीमा कानून, 1938, साधारण बीमा (राष्ट्रीयकरण) विधेयक, 1972 और बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण विधेयक 1999 में भी संशोधन कर दिया गया।
एक दशक से चल रही थी रस्साकशी
वैसे कल भाजपा और कांग्रेस के बीच सहमति बनने के बाद आज राज्य सभा में विधेयक का पारित होना सिर्फ औपचारिकता ही थी। लेकिन यह भी उल्लेखनीय तथ्य है कि जिस विधेयक को लेकर पिछले दस वर्षो से राजनीतिक दलों के बीच रस्साकसी चल रही थी, आज राज्य सभा से उसके पारित होने के समय 100 सदस्य भी उपस्थित नहीं थे।
वोटिंग के समय राज्य सभा के 245 सदस्यों में सिर्फ 91 ही उपस्थित थे। हालांकि कांग्रेस के अलावा बीजेडी, एआइडीएमके, एनसीपी, शिवसेना ने भी विधेयक का समर्थन किया। टीएमसी, एसपी और जदयू ने विधेयक के खिलाफ वाकआउट कर सरकार की मदद ही पहुंचाई।

0 comments:

Post a Comment